खेल खेल की जंग है या, हिन्दू मुस्लिम दंगे हैं? न हरा रंग है न है भगवा, देखो ये पूरे नंगे हैं। इन्हें ना ही नफरत, ना ही कुछ पाने की हसरत, जान लिया है मैंने अब तो, बस मानव ही बेढंगे हैं॥ किसने कहा श्रेष्ठ हैं मानव, ये तो सब भिखमंगे हैं। ये तो सब भिखमंगे हैं॥ -- नीरज द्विवेदी
Saturday, December 15, 2012
Flowers from my Lenses
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