खेल खेल की जंग है या, हिन्दू मुस्लिम दंगे हैं?
न हरा रंग है न है भगवा, देखो ये पूरे नंगे हैं।
इन्हें ना ही नफरत, ना ही कुछ पाने की हसरत,
जान लिया है मैंने अब तो, बस मानव ही बेढंगे हैं॥
किसने कहा श्रेष्ठ हैं मानव, ये तो सब भिखमंगे हैं।
ये तो सब भिखमंगे हैं॥ -- नीरज द्विवेदी
बहुत ही सुंदर चित्र। सचमुच, इसी दुनिया में ही जन्नत है।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चित्रण| वाकई दुनियां रंग बिरंगी है| धन्यवाद|
ReplyDeleteआप को दशहरे पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ|
Antim do chitra laajawaab hai.
ReplyDeleteMain anumati sahit anya sthano par upyog karna chahunga.
Ji, Bilkul aap upyog kar sakte hain. Yadi ho sake bolg ka link de dijiyega.
ReplyDeleteBahut abhar apki upasthiti ke liye.