खेल खेल की जंग है या, हिन्दू मुस्लिम दंगे हैं? न हरा रंग है न है भगवा, देखो ये पूरे नंगे हैं। इन्हें ना ही नफरत, ना ही कुछ पाने की हसरत, जान लिया है मैंने अब तो, बस मानव ही बेढंगे हैं॥ किसने कहा श्रेष्ठ हैं मानव, ये तो सब भिखमंगे हैं। ये तो सब भिखमंगे हैं॥ -- नीरज द्विवेदी
Saturday, September 17, 2011
बंदरों का प्रेम
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प्रेम सभी प्राणियों में व्याप्त है.नयनाभिराम तस्वीरों ने बहुत कुछ कह दिया.(कृपया वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर स्नेप्स हैं....
ReplyDeleteसादर बधाई...
Bahut abhar Arun Ji aur Habib Ji ...
ReplyDeleteप्यारे फोटोस
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